निवेश

निवेश क्या है, इसे समझना आवश्यक है। कम्पनी अपने विकास प्रसार के लिए, मार्केट में मिली चुनौतियों से निपटने के लिए,  अपने नये क्षेत्र मे रिसर्च के लिए इत्यादि के लिए जनसहभागिता के माध्यम से धन एकत्रित कर उनका उपयोग निरन्तर करती हैं । इस कारण जनमानस को कम्पनी अपने सहभागी के लिए लाभ का एक हिस्सा भी प्रदान करती है। अतः निवेशकों द्वारा निवेशित धन निवेश है, जो कम्पनी के लाभ-हानि, लाभांश से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं ।

शेयर बाजार में निवेश

शेयर बाजार में निवेश का मौलिक सिद्धांत यह है कि ऐसी कम्पनियों को खोजना होगा जो कि निवेश में  कम जोखिम का अवसर प्रदान करती है और लाभ का अवसर अधिक प्रदान करती है,  नया निवेश से बचते हुए न केवल अपने निवेशकों का पैसा सुरक्षित रखती है वरन उन्हें डिविडेन्ट के रूप मे लौटती भी हैं ।




शेयर मार्केट में निवेश

भाइयों कोरोना संकट में कुछ नया काम "शेयर मार्केट में निवेश" के बारे में बात शुरू करते है, जो क्रमशः जारी रहेगा :-

--- सर्वप्रथम शेयर मार्केट में निवेश शुरू करने का कोई निश्चित समय नहीं होता है।
--- मार्केट में निवेश की कुछ बातें अपने निवेश के दौरान मिले अनुभवो से मिले ज्ञान से प्राप्त होता है।
--- समय से बड़ा मार्केट गुरु कोई नहीं है।

हिन्दुस्तान

हिन्दुस्तान की पहचान अन्ना , टेरी थामस , श्री श्री रवि शंकर जैसो से है न कि ........... .

अन्ना - राग

अन्ना के लोकप्रिय होने पर, राजनीति को अपना एकाधिकार की वस्तु समझने वाले लोगो मे खलबली मच गयी है। ऐसे व्यक्तियों की समझ पर जनता को तरस ही आता है, जो गाहे-बगाहे अपनी तुलना अन्ना से करते है और अपने कर्मो का आत्मविश्लेषण नहीं करते है और जो वास्तव मे अना के पग की धूल भी नहीं है।

गुस्ताखी माफ – 1

भ्रष्टाचारियो को पकड़ने के लिए एक मशीन बनी ,
अमेरिका मे--- एक दिन मे 9 पकडे गए ,
चीन मे --- 30 ,
इंग्लैंड मे --- 50 ,

और इंडिया मे --- ??????

1 घंटे मे मशीन चोरी हो गयी !

भारत एक महान देश है ।

अन्ना हम शर्मिंदा है कि भ्रष्टाचार जिन्दा है !!

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की समाधि से पवित्र संकल्प लेकर महान समाजसेवी कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे के साथ जनता द्वारा भष्टाचार के विरुद्ध शुरू किये गए पवित्र यज्ञ की गर्मी को पूरे देश में महसूस किया जा रहा है. लोग सड़क,चौराहों,कार्यालयों,गलियों यहाँ तक कि घरो में इस महायज्ञ की चर्चा कर रहे है. उद्देश्य की पवित्रता ही साधक को वह शक्ति प्रदान करती है कि जिसकी तपन में बड़ी से बड़ी सरकारे हिल जाती है. सेवक से स्वामी बन बैठे तथाकथित राजनेताओं ने बरसाती मेढ़को की भाति विभिन्न राजनैतिक पार्टियों को तैयार कर एक ही उद्येश्य पूर्ति हेतु अलग अलग मुद्दों को बेच कर, चुनाव पूर्व एक दूसरे पर चिल्लाने, एक दूसरे की पार्टियों की सरकारों में हुए घोटालो पर अनर्गल बोलने, विकास का झूठा नारा देने, गरीबी दूर करने संबंधी झूठे व् ख्याली वादों को करने में तथा चुनाव के उपरांत गठ्जोड़कर सरकार में शामिल हो मलाई खाने अपने राजनैतिक कैरिअर को चमकाने में जितना दिमागी कसरत करते है उससे सरकार और जनता के बीच की दूरी को समय दर समय बढाया है. विश्व में हो रहे सत्ताधारियो के विरोध में जनक्रांति इसका यथार्त उदहारण है.

भ्रष्टाचार को दूर कर जिन्दा रहने का एहसास कीजिये

क्या आप इस देश का अन्न का उपयोग अपना जीवन चलने के लिए नहीं करते है?

क्या इस देश की आबोहवा आपके स्वांसो को गति नहीं देती?

क्या इस देश की भूमि आपको शरण नहीं देती?

जिस देश में जीवन पाया ,उसके संसाधनों का उपयोग किया, क्या उसके प्रति हमारी जवाबदेही नहीं है?

सभी भारतवासी एकजुट हो और अपने जिन्दा रहने का एहसास करे.....

भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करे .

गर्व से कहो कि हम भ्रष्टाचारी है.

जब इस देश मे स्वेच्छा से भ्रष्टाचार को जनता के उपर थोप दिया गया है, जब इस देश की जनता द्वारा बनाई गयी सरकार में भ्रष्टाचार को दूर करने की अदम्य इच्छा नहीं। जनता की इच्छा से अपना भाग्य बनाते इन राजनेताओ ने इस देश की जनता को ही उनके भाग्य के भरोसे से छोड़ दिया हो. नेताओं, नौकरशाहों, अपराधियो के गठजोड़ ने लोकतंत्र की जड़ को स्मारक प्रतीक के रूप में संजोकर समानांतर भ्रष्टाचार रुपी स्तम्भ खड़ा कर लोकवृछ को ठीक उसी प्रकार जिन्दा रखा है जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने नवाबो को जनता के प्रतीक के रूप में जिन्दा रख कर ब्रिटेन की तिजोरी को भरने की नीति बनाई थी. आम हिन्दुस्तानी यदि भ्रष्टाचार को उखाड़कर फेक नहीं सकता तो उसे इसका विरोध करने का कोई हक़ नहीं.इसलिये गर्व से कहो की हम भ्रष्टाचारी है.

निवेश मंत्र

ब्लॉग मे पहले मैंने लिखा था कि निवेश एक जापानी बांस की तरह होता है, जो पहले 6 साल मे 6 इंच बढ़ता है और अगले 6 महीने मे 90 फुट। यह एक पुरानी कहावत है, लेकिन आज के परिवेश मे निवेश के ऊपर एकदम फिट बैठता है। निवेश के लिए तीन बात अत्यंत महत्वपूर्ण है - ज्ञान,धैर्य और धन। इनको ध्यान मे रख कर ही कोई निवेशक सफल हो सकता है। ज्ञान के बिना धन की कल्पना नहीं की जा सकती है। जिस प्रकार मूर्ख के पास आया धन भी नष्ट हो जाता है और धन का समुचित प्रबंध का ज्ञान नहीं होने के कारण उचित लाभ नहीं हो सकता है, उसी प्रकार से बिना उचित ज्ञान के धन का निवेश बेमानी है। धन के निवेश मे धैर्य की आवश्यकता है. अधीरता व् असावधानी से किये गए निर्णय से निवेश मे कोई लाभ नहीं होता है वरन उल्टा नुक्सान ही होता है। ज्ञान,धैर्य के साथ साथ धन का होना भी निवेश का आश्चर्यजनक सत्य पहलू है। आखिर ज्ञान का सार्थक उपयोग निवेश मे धन लगाने और किये गए निवेश को और बढाने मे है।

मन की चाह

ख्यालो की उड़ान लिए ,
बैठ खटोले मे निकला ,
विश्व भ्रमण की चाह लिए ,
मै मन अरमान लिए ,
देखू नर-नारायण को ,
खेतो मे जो मर मिटता है ,
दाता है जो अन्न का ,
किंतु खाली है जिसका पेट ,
ख्यालो की उड़ान लिए ,
बैठ खटोले मे निकला ,
विश्व भ्रमण की चाह लिए ,
मै मन अरमान लिए ,
देखू उन जंगलो को ,
सिकुडे हर पल भेंट चढ़े ,
मानव विकास की बेदी पर ,
कुर्बानी जिसकी 'आह' लिए ,
ख्यालो की उड़ान लिए ,
बैठ खटोले मे निकला ,
विश्व भ्रमण की चाह लिए ,
मै मन अरमान लिए ,
देखू उन नदियों को ,
जो विश्व-विकास की गाथा थी ,
पानी जिसका हर पल हुए ,
दूषित,कलुषित और कम हुए ,
ख्यालो की उड़ान लिए ,
बैठ खटोले मे निकला ,
विश्व भ्रमण की चाह लिए ,
मै मन अरमान लिए ,
क्रमश: .......

जूते की चाह

जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
चाह नही मै पैरो मे घिसा जाऊ ,
चाह नही मै ट्रक के आगे लटका जाऊ ,
चाह नही मै बुरी नजर उतारता रहूँ ,
चाह नही मै मिर्गी को भागता रहूँ ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
कीमत मेरी 'महामना' जाने ,
नवाब के जूते की कीमत सरेआम लगवाई ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
चाह लगू भ्रष्टाचारियो के मुँह पर
चाह लगू घूसखोरों के मुँह पर ,
चाह लगू कन्याभ्रूण हत्यारों के मुँह पर ,
चाह लगू मिलावटखोरो के मुँह पर ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
क्रमश: .......

ज्ञान:- फोर्स पत्रिका के अनुसार दुनिया के प्रथम तीन ताकतवर व्यक्ति है -() हूँ जिन्ताओ ,राष्ट्रपति चीन () बराक ओबामा,राष्ट्रपति अमेरिका () अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज अल सऊद,शाह सऊदी अरब

सुख की चाह

एक समय की बात है एक विद्वान जा रहा था , मार्ग मे उसे एक मजदूर नीम के पेड़ के नीचे सोता हुआ दिखाई दिया।
विद्वान ने उसे जगाते हुए कहा - "कुछ काम क्यो नही करते हो ?"
मजदूर ने लेटे हुए कहा - "पेट भरने भर मजदूरी कर लेता हूँ "
"क्या तुम नही चाहते और अधिक काम करो "-विद्वान ने उसे धिक्कारते हुए कहा
"उससे क्या होगा !"
"अधिक कार्य से अधिक धन की प्राप्ति होगी "
"उससे क्या होगा !"
"अधिक धन से अन्न-भूमि की अधिक प्राप्ति होगी "
"उससे क्या होगा !"
"समाज मे तुम्हारी प्रतिष्ठा बढेगी , मान-सम्मान बढेगा "
"उससे क्या होगा !"
"उससे तुम्हे सुख की प्राप्ति होगी "- विद्वान ने खिसियाते हुए कहा।
"वही सुख तो मै ले रहा था , और आपने मुझे जगा दिया "
विद्वान निरुत्तर हो अपने मार्ग पर चला गया

मंत्र

नौकरी करते हुए मनुष्य ऐसे परजीवी (पैरासाइट्स) की भांति होता है, जो अपना जीवनयापन तो कर सकता है लेकिन अपना विकास नहीं कर सकता है।मध्यम आय वर्ग की विशेषता होती है कि वह अपनी आय का लगभग पूरा भाग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों कों पूरा करने ,अपने लिए जमीन खरीद कर मकान बनाने और जीवनयापन करने मे खर्च कर देते है ।जिससे जाने-अनजाने और मजबूरी मे अपनी पूँजी से दूसरो को अमीर बनाते है। जिससे उनकी अगली पीढ़ी मे रोजगार की समस्या फिर जस की तस बनी रहती है। यह एक ऐसा दुष्चक्र है जो आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता है।

भारत स्वाभिमान मंच का एजेण्डा

भारत स्वाभिमान मंच का एजेण्डा निम्नलिखित प्रकार से होना चाहिए :-

१- इस मंच से जुड़े व्यक्तियों को कोई राजनितिक या सार्वजानिक पद नहीं लेना चाहिए , जिससे इनमे पद ,धन और प्रतिष्ठा का लोभ न आ पाए ।

२- उसका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं होना चाहिए ।

३-न्यायालय द्वारा सजायाफ्ता नहीं होना चाहिए, यदि हो तो उसके द्वारा किये गए अपराधो के बारे मे भारत स्वाभिमान मंच के केन्द्रीय कार्यकारिणी मे अवश्य विचार करना चाहिए ।

- सार्वजानिक जीवन मे किसी भी प्रकार के चल-अचल सम्पति का स्वामी नहीं होना चाहिए ।यदि हो तो इमानदारी से उसका भारत स्वाभिमान मंच के द्वारा प्रति वर्ष जारी किये जाने वाले स्वेत-पत्र मे उसका उल्लेख हो।

५- जन सेवा का अच्छा कामकाज तथा रिकार्ड होना चाहिए ।

६- जनता के बीच उसकी सामाजिक छवि अच्छी होनी चाहिए , जिसके बाबत समय-समय पर उसके इलाके मे सर्वे कराकर इस सम्बन्ध मे भारत स्वाभिमान मंच के केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा जानकारी एकत्र की जा सकती है।
७- देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार और कालाबाजारी कों ख़त्म करने का दृढ संकल्प लेना ही नहीं बल्कि वास्तविकता के धरातल पर अपने कार्यो द्वारा अपने संकल्प कों परिलाचछित करना भी है।

८- विदेशो मे जमा काला धन और देश मे एकत्रित काला धन दोनों कों जप्त करके समाजवाद और सर्वजन हिताय के उद्येश्यो के लिए उसका उपयोग देश मे व्याप्त गरीबी,अशिक्षा और बेरोजगारी कों मिटाने मे इमानदारी से प्रयास करना।

अयोध्या -2

कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूढे जग माहि। उसी प्रकार अयोध्या का हल अयोध्या मे ही है, अवसरवादियों के खोखले बयान मे नहीं, जिनकी रूचि समस्या के आख़िरी समाधान मे नहीं वरन विवाद को जिन्दा रखने मे है। आख़िरकार जनता की समझ ने राजनेताओ,रूढ़वादियों,ढोगी,पाखंडियो और अवसरवादियों को बेरोजगार कर ही दिया।

अयोध्या -1

अयोध्या मसले पर कोर्ट के फैसले ने राजनीतिको और संकीर्ण विचारधारा को दर किनार कर सच्चे मन से दोनों समुदायों के आम जन को करीब लाने का काम किया है। जिनका उद्येश्य रोटी,कपडा,मकान के साथ-साथ विकास भी है।

बेटी है दिल के करीब

मेरे घर मे एक नन्ही सी जान घूमती है, कभी इस कमरे मे कभी उस कमरे मेइठलाती, इतराती,अपनी मासूम अदा से हम सबका मन मोहतीवशीकरण मंत्र उसका ऐसा चलता कि चाहे मन कितना भी तनाव मे क्यों हो, समुद्र के गहरे जल जैसा शांत और गोमुख के जल जैसा स्वच्छ हो जाता हैउसके मासूम चेहरे और बोलने का हावभाव बरबस ही ध्यान खीचता हैभोली अदाओ से मन, मन ही मन मुस्कराता है
एक बार सुबह ही सुबह चाकलेट के लिए जिद करने लगी, मैंने भी जान छुड़ाने के लिए शाम को लाने का वादा कियाशाम को जैसे ही घर पंहुचा, बेल बजायी, उसने ही गेट खोलामेरे घर के अन्दर घुसने के लिए कदम उठाने से पहले ही उसने सवाल दागा- "पापा चाकलेट लाये हो"? मै सन्न रह गया, काम के धुन मे सुबह का किया वादा भूल गया थासामने आखो मे प्रश्नवाचक भाव देख कर समर्पण किया, बोला-" अभी लाया"। फिर वादे को निभाना पड़ा

गुस्ताखी माफ़

श्मशान घाट की ओर जा रही भीड़ मे आगे जाने वाले व्यक्ति से कल्लू ने कहा -" बड़े अफ़सोस की बात है कि आपकी पत्नी का देहांत हो गया! वैसे उनका देहांत कैसे हुआ ?"
उस व्यक्ति ने इशारा करते हुए कहा कि - "वो जो आगे मेरा कुत्ता जा रहा है,उसी ने काटा था ।"
कल्लू ने प्रार्थना करते हुए कहा कि -"भाई वो कुत्ता मुझे एक दिन के लिए दे दो। "
उस व्यक्ति ने घूरते हुए कहा -"चल लाईन मे लग जा ,ये मेरे पीछे जो भीड़ चली रही है वो उसी कुत्ते को लेने के लिए है। "

बिचौलिया कि जय हो !

महंगाई है कि परछाई की तरह जान ही नहीं छोडती , ऊपर से बिचौलियो की मार तो कमर ही तोड़ देती है। जब हर जगह से आस छूटती है तो हमेशा की तरह भगवान का ही आसरा है।जब से ये सुना कि आलू 2 रूपये किलो किसान बेच रहे है तो बड़े अरमान से सीना फुलाते हुए बाजार गया यह सोचते हुए कि आज तो हप्ते भर की सब्जी तो खरीद ही डालू ,ये रोज-रोज का झंझट बड़ा खराब है।
गरजते हुए ठेले वाले से पूछा - "आलू क्या भाव दे रहे हो!"
ठेले वाले ने घूरती निगाहों से प्रश्नवाचक चेहरा बनाते हुए पलट कर कहा -"बाबूजी बस 8 रूपये किलो है।"
मैंने बचाव मुद्रा मे आते हुए कहा -"अरे किसान तो 2 रूपये किलो बेच रहे है।"
ठेले वाले ने कहा - "तो बाबूजी यहाँ काहे आये हो? डाईरेक्ट किसान से ही ले लो न।"
"इतना प्राफिट लेते हो,जनता को लूट रहे हो!" - दार्शनिक भाव से मैंने कहा।
"बाबूजी हम कहाँ लूट रहे है , लूट तो रहे है बिचौलिया जो गरीब किसानन से सस्ता खरीद रहे है और हमका महंगा दे रहे है तो हम सस्ता कहाँ से बेचें "-ठेले वाले ने सफाई देते हुए कहा
पुनःठेले वाले ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा -" खेल मे तो मारे जा रहे या तो किसान या तो बेचें वाले और बिचौलियों की मौज ही मौज है।"
अब तक मेरा सस्ते का नशा काफूर हो चला था। बात को ख़त्म करने के उद्देश्य से मैंने कहा - "भैया एक पाव आलू दे दो। "
और घर उलटे पाँव लौटते हुए मन ही मन विचार करने लगा कि जो बात सरकार को नहीं समझ मे आई वो ठेले वाले भी जानते है।

आईपीएल - 3 का टिकट फ्री

आईपीएल - 3 का टिकट फ्री मे मिले और उस पर क्रिकेट का मजा , लगता है कि हमारे भाग्य खुल गए ,पूर्व जन्म का कोई सत्कर्म है जो अब फलीभूत हुआ है। गली -मोहल्ले मे गर्व से सिर ऊचा कर चलेंगे।

बस ऐसी ही हमारी मनोदशा को भुनाते है कुछ दिमागदार लोग , जो मनोरंजन को मिर्च-मसाला लगाकर चरम पर पहुचाने के बाद उसको कैश कराते है। उनके लिए यह खेल सिर्फ पैसा कमाने की मशीन भर है। देश मे इस खेल की भावनाओ का ऐसा बवंडर खड़ा कर देते है कि बस जहाँ भी सुनो बस इसकी ही चर्चा है। क्या अख़बार क्या टीवी चैनल , गली-मोहल्ले से लेकर शहर के हर चौराहों व सडको पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर बस इसी की ही चर्चा है।

मै पूछता हूँ कि क्या यह खेल जिससे कुछ लोग अरबो कमाते है, इस देश गरीब जनता को एक वक्त की रोटी दे सकता है,क्या इसके द्वारा देश के विकास मे अंश मात्र का योगदान है? मेरा मंतव्य यह कतई नही है कि मै कुछ लोगो के इस खेल को व्यवसाय के रूप मे अपनाने के उनके मौलिक अधिकार को चुनौती दे रहा हूँ। अफसोस तो यह है कि इस मामले मे हमारी सरकार क्या कर रही है? क्या यह कभी आकलन किया गया है कि इस देश कि कितनी ऊर्जा इन खेलो को देखने, सुनने मे जाया होती है? व्यवसाय के रूप मे इन खेलो से राष्ट्रीय आय व राष्ट्रीय विकास मे क्या योगदान होता है?

लगभग 4 अरब 13 करोड़ डालर की कमाई कर चुके इस खेल मे टीमो की कीमतों पर गौर करे :-

मुंबई इंडियंस ---------------- 11.19 करोड़ डालर

रायल्स चैलेंजर्स बंगलूर ------- 11.16 करोड़ डालर

डेक्कन चार्जर्स ---------------- 10.7 करोड़ डालर

चेंनेई सुपर किंग्स ------------- 9.1 करोड़ डालर
डेयर डेविल्स ------------------- 8.4 करोड़ डालर

किंग्स इलेवन पंजाब ------------ 7.6 करोड़ डालर

कोलकाता नाईट राईडर्स -------- 7.5 करोड़ डालर


राजस्थान रायल्स --------------- 6.7 करोड़ डालर

अपील

दिनांक 27.3.2010 को "अर्थ आवर "जो वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड फॉर नेचर द्वारा 2007 से सिडनी से शुरू किया गया अभियान है, के दिन जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता हेतु समय 20.30 से 21.30 बजे तक विद्युत के समस्त उपकरण को बंद रखे जाने की अपील।

चाँद पर बसने की सोचो क्योकि पृथ्वी पर जगह नही !

खुशखबरी ! चाँद पर पानी मिला। चलो राहत की बात है क्योकि धरती पर नही है पीने योग्य पानी। चाँद पर कही भी आराम से रह सकते है क्योकि प्रदूषण नही है चाँद पर,क्योकि धरती पर स्वच्छ जल और वायु नही। हम इंसानों ने अपनी इस धरती का कबाडा कर दिया है। जहरीली होती यह धरती और यहाँ की हवा ख़ुद इंसानों के ही रहने के योग्य नही रह गई है। इस कृत्य का सबसे बड़ा जिम्मेदार आज का यह मानव है।

सच हो रही है नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी

1. क्या संसार के अलग-अलग भागों मे लगी आग मात्र संयोग है?
2. क्या संसार के अलग-अलग भागों मे आई बाढ़ मात्र संयोग है?
3. क्या संसार के अलग-अलग भागों मे उसर होती जमीन तथा उपज मे आई भारी कमी मात्र संयोग है?

4. क्या संसार के अलग-अलग भागों मे अचानक हुए मौसम मे परिवर्तन मात्र संयोग है?
5 क्या धरती का बढ़ता तापमान खतरे का संकेत नही है?
6. क्या पिघलते ग्लेशियर धरती पर वर्तमान जीवन मे भारी परिवर्तन का संकेत नही दे रहे है?
7. क्या समुद्र का जल-स्तर नही बढ़ रहा है? और निचले स्थलीय भागों के पानी मे डूब जाने तथा उनका अस्तित्व समाप्त हो जाने का खतरा नही बढ़ रहा है?


इस खूबसूरत धरती पर अपना पूर्ण अधिकार समझने वाला,धरती के सभी जीव-जन्तु मे अपने को श्रेष्ठ समझने वाला तथा उपभोग करने वाला आज का बुद्धिमान मनुष्य है। फिर वही मनुष्य इस धरती का विनाश क्यो कर रहा है? क्यो बढ़ते हुऐ खतरों से अंजान बना हुआ है? हम आने वाली अपनी पीढी को कैसी धरती और कैसा पर्यावरण देंगे? आज देर ही नही बहुत देर हो चुकी है। हम कभी भी पूरी नही हो सकने वाली छति की ओर बढ़ चुके है।


शायद कुछ लोग इन बातो को कोरी बकवास समझे। लेकिन यह सच है की कल इस लेख को लिखने के लिए न हम होंगे न आप और न ही इसे पढ़ने के लिए होगी हमारी मानव पीढी।

स्वाइन फ्लू


Dear All,


The deadly Swine Flu has reached the Indian shores following the global outbreak and now, claimed one life. However, Swine Flu is certainly one of those diseased where an ounce of prevention is worth a pound of cure. Here are ten tips for you to keep away from the pandemic. (Health Department )

1. Wash your hands frequently
Use the antibacterial soaps to cleanse your hands. Wash them often, at least 15 seconds and rinse with running water.

2. Get enough sleep
Try to get 8 hours of good sleep every night to keep your immune system in top flu-fighting shape.

3. Drink sufficient water
Drink 8 to10 glasses of water each day to flush toxins from your system and maintain good moisture and mucous production in your sinuses.

4. Boost your immune system
Keeping your body strong, nourished, and ready to fight infection is important in flu prevention. So stick with whole grains, colorful vegetables, and vitamin-rich fruits.

5. Keep informed
The government is taking necessary steps to prevent the pandemic and periodically release guidelines to keep the pandemic away. Please make sure to keep up to date on the information and act in a calm manner.

6. Avoid alcohol
Apart from being a mood depressant, alcohol is an immune suppressant that can actually decrease your resistance to viral infections like swine flu. So stay away from alcoholic drinks so that your immune system may be strong.

7. Be physically active
Moderate exercise can support the immune system by increasing circulation and oxygenating the body. For example brisk walking for 30-40 minutes 3-4 times a week will significantly perk up your immunity.

8. Keep away from sick people
Flu virus spreads when particles dispersed into the air through a cough or sneeze reach someone else nose. So if you have to be around someone who is sick, try to stay a few feet away from them and especially, avoid physical contact.

9. Know when to get help
Consult your doctor if you have a cough and fever and follow their instructions, including taking medicine as prescribed.

10. Avoid crowded areas
Try to avoid non veg including Kabab, Egg, and paneer (Cheez),& also unnecessary trips outside

Thanks.

संत विचार

निरर्थक आशंकाए, परिणाम के प्रति उतावलापन, निरंतर हीन भावना एवं अपराधबोध मनुष्य मे तनाव के हेतु बन जाते है। तनाव वस्तुतः एक रोग है, जो हमारे व्यक्तित्व मे अनेक विकृतियाँ और विसंगतियां उत्पन्न कर देती है। तनाव, कारण न हो कर कार्य की श्रेणी मे आता है, वह हेतु न हो कर एक प्रकार से हमारी दुर्बल मानसिकता का परिणाम होता है।
पूर्वाग्रह, हठधर्मिता, अनावश्यक शंकाशीलता अथवा आशंकाओ द्वारा ग्रसित रहना, ईष्या द्वेषभाव आदि मानसिक तनाव के कारण बनते है। मानसिक तनाव से बचकर हम अपनी अनेक मानसिक बीमारियों से बच सकते है।
सत्य है :- "हमारा महानतम यश सदैव सफल होने मे नही है, अपितु प्रत्येक पतन के बाद उत्थान मे है। "

देश

हाय रे ! देश तेरा क्या हाल हो गया है,
कहाँ गए वो लहलहाते खेत,
कहाँ गए वो बगीचे,
कहाँ गई वो गाँवो की चौपाल,
जिस पर बैठकर प्रधान करते थे ,
गाँवो के भविष्य का फैसला,
अब भी लहलहा रहे है ,
लेकिन वे खेत नही,
आबादी है ,
बगीचे नही ,
बर्बादी है,
गाँवो की चौपाल नही ,
गुंडों की जमघट है,
जो फैसला करते है ,
व्यक्ति का ही नही,
गाँवो का ही नही,
इस देश के भविष्य का भी ।



आवारा

उस विभत्स्य ! दृश को देख कर ,
कॉप गया मेरा अन्तरंग ,
मेरे रोवों के तार मे ,
कपकपी सी हो गई ,
उस आवारा लाश को ,
जिसका इस संसार से ,
रिश्ता न अब कोई था ,
खा रहे थे ,
गीद्ध नोच-नोच कर।

कानून

"कानून राज्य द्वारा निर्मित सबके लिए समान निश्चित मानवीय आचरण के नियम है, जिसका उलंघन करने वाले को दंड दिया जाता है , जिसका आधार जनता की सामान्य इच्छा होती है। "
---किंतु कानून बनाने वाले (सांसद) को ही चुनने मे ही
जनता उदासीन (५०% से भी कम मतदान ) हो
तो उस राज्य का भला भगवान
भी नही कर सकता है।

भारत

Lord Macaulay का ब्रिटिश संसद मे दिनांक 2.2.1835 को दिया गया भाषण :-
"I have travelled across the length and breadth of India and I have not seen one person who is a beggar, who is a thief. Such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage and therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their selfesteem, their native culture culture and they will become what we want them, a truly dominated nation."
--- योजना रुपी वटवृछ आज मजबूती से फैला हुआ है। अगर हम अब भी नही चेते तो भविष्य मे और भी दुष्परिणाम होंगे ।

जूता

देश समाज काल के अनुसार राजनीति की दिशा तय होती है। जिस देश मे आन्तरिक व वाह्य नीति का उचित निर्धारण नही होता , नागरिको की सामाजिक चेतना सो गई हो,समय के अनुसार परिवर्तन का साहस नही ,वहाँ का राजनीति परिदृश्य कुछ वर्तमान जैसा होता है।

निवेश जापानी बांस की तरह होता है

जो पहले 6 साल मे छह इंच बढता है

और अगले 6 महीने मे 90 फुट .

चुनाव

भूखा !

तू हर हल मे मरेगा ,

किंतु जरा ,

इस अपने 'खद्दरधारी ' की भी सोच ,

" खड़ा हूँ तेरे सामने ,

और तू बैठा है !

कभी तो सूरज पश्चिम से निकला है"

पुकार

रात के सन्नाटे को चीरती हुई ,

फिर खो गई पुकार,

और जा मिली उस महाकाल से ,

जिसमे से आई थी !


कौन है जो इनकी राहो मे,
कांटे बिछा गया ?
कौन है जो इनके हिस्से का ,
सूरज भी खा गया ?