गर्व से कहो कि हम भ्रष्टाचारी है.

जब इस देश मे स्वेच्छा से भ्रष्टाचार को जनता के उपर थोप दिया गया है, जब इस देश की जनता द्वारा बनाई गयी सरकार में भ्रष्टाचार को दूर करने की अदम्य इच्छा नहीं। जनता की इच्छा से अपना भाग्य बनाते इन राजनेताओ ने इस देश की जनता को ही उनके भाग्य के भरोसे से छोड़ दिया हो. नेताओं, नौकरशाहों, अपराधियो के गठजोड़ ने लोकतंत्र की जड़ को स्मारक प्रतीक के रूप में संजोकर समानांतर भ्रष्टाचार रुपी स्तम्भ खड़ा कर लोकवृछ को ठीक उसी प्रकार जिन्दा रखा है जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने नवाबो को जनता के प्रतीक के रूप में जिन्दा रख कर ब्रिटेन की तिजोरी को भरने की नीति बनाई थी. आम हिन्दुस्तानी यदि भ्रष्टाचार को उखाड़कर फेक नहीं सकता तो उसे इसका विरोध करने का कोई हक़ नहीं.इसलिये गर्व से कहो की हम भ्रष्टाचारी है.

3 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

छोटी पर अच्छी पोस्ट!

Udan Tashtari ने कहा…

चिन्तन योग्य बात.

किलर झपाटा ने कहा…

छी छी !