अन्ना हम शर्मिंदा है कि भ्रष्टाचार जिन्दा है !!
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की समाधि से पवित्र संकल्प लेकर महान समाजसेवी कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे के साथ जनता द्वारा भष्टाचार के विरुद्ध शुरू किये गए पवित्र यज्ञ की गर्मी को पूरे देश में महसूस किया जा रहा है. लोग सड़क,चौराहों,कार्यालयों,गलियों यहाँ तक कि घरो में इस महायज्ञ की चर्चा कर रहे है. उद्देश्य की पवित्रता ही साधक को वह शक्ति प्रदान करती है कि जिसकी तपन में बड़ी से बड़ी सरकारे हिल जाती है. सेवक से स्वामी बन बैठे तथाकथित राजनेताओं ने बरसाती मेढ़को की भाति विभिन्न राजनैतिक पार्टियों को तैयार कर एक ही उद्येश्य पूर्ति हेतु अलग अलग मुद्दों को बेच कर, चुनाव पूर्व एक दूसरे पर चिल्लाने, एक दूसरे की पार्टियों की सरकारों में हुए घोटालो पर अनर्गल बोलने, विकास का झूठा नारा देने, गरीबी दूर करने संबंधी झूठे व् ख्याली वादों को करने में तथा चुनाव के उपरांत गठ्जोड़कर सरकार में शामिल हो मलाई खाने अपने राजनैतिक कैरिअर को चमकाने में जितना दिमागी कसरत करते है उससे सरकार और जनता के बीच की दूरी को समय दर समय बढाया है. विश्व में हो रहे सत्ताधारियो के विरोध में जनक्रांति इसका यथार्त उदहारण है.
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1 टिप्पणी:
सचमुच। पर लगता है कि अब समय बदलने की शुरूआत हो चुकी है।
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प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्यादा खतरनाक है ?
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