निवेश मंत्र

ब्लॉग मे पहले मैंने लिखा था कि निवेश एक जापानी बांस की तरह होता है, जो पहले 6 साल मे 6 इंच बढ़ता है और अगले 6 महीने मे 90 फुट। यह एक पुरानी कहावत है, लेकिन आज के परिवेश मे निवेश के ऊपर एकदम फिट बैठता है। निवेश के लिए तीन बात अत्यंत महत्वपूर्ण है - ज्ञान,धैर्य और धन। इनको ध्यान मे रख कर ही कोई निवेशक सफल हो सकता है। ज्ञान के बिना धन की कल्पना नहीं की जा सकती है। जिस प्रकार मूर्ख के पास आया धन भी नष्ट हो जाता है और धन का समुचित प्रबंध का ज्ञान नहीं होने के कारण उचित लाभ नहीं हो सकता है, उसी प्रकार से बिना उचित ज्ञान के धन का निवेश बेमानी है। धन के निवेश मे धैर्य की आवश्यकता है. अधीरता व् असावधानी से किये गए निर्णय से निवेश मे कोई लाभ नहीं होता है वरन उल्टा नुक्सान ही होता है। ज्ञान,धैर्य के साथ साथ धन का होना भी निवेश का आश्चर्यजनक सत्य पहलू है। आखिर ज्ञान का सार्थक उपयोग निवेश मे धन लगाने और किये गए निवेश को और बढाने मे है।

मन की चाह

ख्यालो की उड़ान लिए ,
बैठ खटोले मे निकला ,
विश्व भ्रमण की चाह लिए ,
मै मन अरमान लिए ,
देखू नर-नारायण को ,
खेतो मे जो मर मिटता है ,
दाता है जो अन्न का ,
किंतु खाली है जिसका पेट ,
ख्यालो की उड़ान लिए ,
बैठ खटोले मे निकला ,
विश्व भ्रमण की चाह लिए ,
मै मन अरमान लिए ,
देखू उन जंगलो को ,
सिकुडे हर पल भेंट चढ़े ,
मानव विकास की बेदी पर ,
कुर्बानी जिसकी 'आह' लिए ,
ख्यालो की उड़ान लिए ,
बैठ खटोले मे निकला ,
विश्व भ्रमण की चाह लिए ,
मै मन अरमान लिए ,
देखू उन नदियों को ,
जो विश्व-विकास की गाथा थी ,
पानी जिसका हर पल हुए ,
दूषित,कलुषित और कम हुए ,
ख्यालो की उड़ान लिए ,
बैठ खटोले मे निकला ,
विश्व भ्रमण की चाह लिए ,
मै मन अरमान लिए ,
क्रमश: .......

जूते की चाह

जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
चाह नही मै पैरो मे घिसा जाऊ ,
चाह नही मै ट्रक के आगे लटका जाऊ ,
चाह नही मै बुरी नजर उतारता रहूँ ,
चाह नही मै मिर्गी को भागता रहूँ ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
कीमत मेरी 'महामना' जाने ,
नवाब के जूते की कीमत सरेआम लगवाई ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
चाह लगू भ्रष्टाचारियो के मुँह पर
चाह लगू घूसखोरों के मुँह पर ,
चाह लगू कन्याभ्रूण हत्यारों के मुँह पर ,
चाह लगू मिलावटखोरो के मुँह पर ,
जूता मै चमड़े की खाल प्रिये ,
जिससे निकला उसकी 'आह' प्रिये ,
क्रमश: .......

ज्ञान:- फोर्स पत्रिका के अनुसार दुनिया के प्रथम तीन ताकतवर व्यक्ति है -() हूँ जिन्ताओ ,राष्ट्रपति चीन () बराक ओबामा,राष्ट्रपति अमेरिका () अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज अल सऊद,शाह सऊदी अरब

सुख की चाह

एक समय की बात है एक विद्वान जा रहा था , मार्ग मे उसे एक मजदूर नीम के पेड़ के नीचे सोता हुआ दिखाई दिया।
विद्वान ने उसे जगाते हुए कहा - "कुछ काम क्यो नही करते हो ?"
मजदूर ने लेटे हुए कहा - "पेट भरने भर मजदूरी कर लेता हूँ "
"क्या तुम नही चाहते और अधिक काम करो "-विद्वान ने उसे धिक्कारते हुए कहा
"उससे क्या होगा !"
"अधिक कार्य से अधिक धन की प्राप्ति होगी "
"उससे क्या होगा !"
"अधिक धन से अन्न-भूमि की अधिक प्राप्ति होगी "
"उससे क्या होगा !"
"समाज मे तुम्हारी प्रतिष्ठा बढेगी , मान-सम्मान बढेगा "
"उससे क्या होगा !"
"उससे तुम्हे सुख की प्राप्ति होगी "- विद्वान ने खिसियाते हुए कहा।
"वही सुख तो मै ले रहा था , और आपने मुझे जगा दिया "
विद्वान निरुत्तर हो अपने मार्ग पर चला गया

मंत्र

नौकरी करते हुए मनुष्य ऐसे परजीवी (पैरासाइट्स) की भांति होता है, जो अपना जीवनयापन तो कर सकता है लेकिन अपना विकास नहीं कर सकता है।मध्यम आय वर्ग की विशेषता होती है कि वह अपनी आय का लगभग पूरा भाग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों कों पूरा करने ,अपने लिए जमीन खरीद कर मकान बनाने और जीवनयापन करने मे खर्च कर देते है ।जिससे जाने-अनजाने और मजबूरी मे अपनी पूँजी से दूसरो को अमीर बनाते है। जिससे उनकी अगली पीढ़ी मे रोजगार की समस्या फिर जस की तस बनी रहती है। यह एक ऐसा दुष्चक्र है जो आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता है।

भारत स्वाभिमान मंच का एजेण्डा

भारत स्वाभिमान मंच का एजेण्डा निम्नलिखित प्रकार से होना चाहिए :-

१- इस मंच से जुड़े व्यक्तियों को कोई राजनितिक या सार्वजानिक पद नहीं लेना चाहिए , जिससे इनमे पद ,धन और प्रतिष्ठा का लोभ न आ पाए ।

२- उसका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं होना चाहिए ।

३-न्यायालय द्वारा सजायाफ्ता नहीं होना चाहिए, यदि हो तो उसके द्वारा किये गए अपराधो के बारे मे भारत स्वाभिमान मंच के केन्द्रीय कार्यकारिणी मे अवश्य विचार करना चाहिए ।

- सार्वजानिक जीवन मे किसी भी प्रकार के चल-अचल सम्पति का स्वामी नहीं होना चाहिए ।यदि हो तो इमानदारी से उसका भारत स्वाभिमान मंच के द्वारा प्रति वर्ष जारी किये जाने वाले स्वेत-पत्र मे उसका उल्लेख हो।

५- जन सेवा का अच्छा कामकाज तथा रिकार्ड होना चाहिए ।

६- जनता के बीच उसकी सामाजिक छवि अच्छी होनी चाहिए , जिसके बाबत समय-समय पर उसके इलाके मे सर्वे कराकर इस सम्बन्ध मे भारत स्वाभिमान मंच के केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा जानकारी एकत्र की जा सकती है।
७- देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार और कालाबाजारी कों ख़त्म करने का दृढ संकल्प लेना ही नहीं बल्कि वास्तविकता के धरातल पर अपने कार्यो द्वारा अपने संकल्प कों परिलाचछित करना भी है।

८- विदेशो मे जमा काला धन और देश मे एकत्रित काला धन दोनों कों जप्त करके समाजवाद और सर्वजन हिताय के उद्येश्यो के लिए उसका उपयोग देश मे व्याप्त गरीबी,अशिक्षा और बेरोजगारी कों मिटाने मे इमानदारी से प्रयास करना।

अयोध्या -2

कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूढे जग माहि। उसी प्रकार अयोध्या का हल अयोध्या मे ही है, अवसरवादियों के खोखले बयान मे नहीं, जिनकी रूचि समस्या के आख़िरी समाधान मे नहीं वरन विवाद को जिन्दा रखने मे है। आख़िरकार जनता की समझ ने राजनेताओ,रूढ़वादियों,ढोगी,पाखंडियो और अवसरवादियों को बेरोजगार कर ही दिया।

अयोध्या -1

अयोध्या मसले पर कोर्ट के फैसले ने राजनीतिको और संकीर्ण विचारधारा को दर किनार कर सच्चे मन से दोनों समुदायों के आम जन को करीब लाने का काम किया है। जिनका उद्येश्य रोटी,कपडा,मकान के साथ-साथ विकास भी है।

बेटी है दिल के करीब

मेरे घर मे एक नन्ही सी जान घूमती है, कभी इस कमरे मे कभी उस कमरे मेइठलाती, इतराती,अपनी मासूम अदा से हम सबका मन मोहतीवशीकरण मंत्र उसका ऐसा चलता कि चाहे मन कितना भी तनाव मे क्यों हो, समुद्र के गहरे जल जैसा शांत और गोमुख के जल जैसा स्वच्छ हो जाता हैउसके मासूम चेहरे और बोलने का हावभाव बरबस ही ध्यान खीचता हैभोली अदाओ से मन, मन ही मन मुस्कराता है
एक बार सुबह ही सुबह चाकलेट के लिए जिद करने लगी, मैंने भी जान छुड़ाने के लिए शाम को लाने का वादा कियाशाम को जैसे ही घर पंहुचा, बेल बजायी, उसने ही गेट खोलामेरे घर के अन्दर घुसने के लिए कदम उठाने से पहले ही उसने सवाल दागा- "पापा चाकलेट लाये हो"? मै सन्न रह गया, काम के धुन मे सुबह का किया वादा भूल गया थासामने आखो मे प्रश्नवाचक भाव देख कर समर्पण किया, बोला-" अभी लाया"। फिर वादे को निभाना पड़ा

गुस्ताखी माफ़

श्मशान घाट की ओर जा रही भीड़ मे आगे जाने वाले व्यक्ति से कल्लू ने कहा -" बड़े अफ़सोस की बात है कि आपकी पत्नी का देहांत हो गया! वैसे उनका देहांत कैसे हुआ ?"
उस व्यक्ति ने इशारा करते हुए कहा कि - "वो जो आगे मेरा कुत्ता जा रहा है,उसी ने काटा था ।"
कल्लू ने प्रार्थना करते हुए कहा कि -"भाई वो कुत्ता मुझे एक दिन के लिए दे दो। "
उस व्यक्ति ने घूरते हुए कहा -"चल लाईन मे लग जा ,ये मेरे पीछे जो भीड़ चली रही है वो उसी कुत्ते को लेने के लिए है। "

बिचौलिया कि जय हो !

महंगाई है कि परछाई की तरह जान ही नहीं छोडती , ऊपर से बिचौलियो की मार तो कमर ही तोड़ देती है। जब हर जगह से आस छूटती है तो हमेशा की तरह भगवान का ही आसरा है।जब से ये सुना कि आलू 2 रूपये किलो किसान बेच रहे है तो बड़े अरमान से सीना फुलाते हुए बाजार गया यह सोचते हुए कि आज तो हप्ते भर की सब्जी तो खरीद ही डालू ,ये रोज-रोज का झंझट बड़ा खराब है।
गरजते हुए ठेले वाले से पूछा - "आलू क्या भाव दे रहे हो!"
ठेले वाले ने घूरती निगाहों से प्रश्नवाचक चेहरा बनाते हुए पलट कर कहा -"बाबूजी बस 8 रूपये किलो है।"
मैंने बचाव मुद्रा मे आते हुए कहा -"अरे किसान तो 2 रूपये किलो बेच रहे है।"
ठेले वाले ने कहा - "तो बाबूजी यहाँ काहे आये हो? डाईरेक्ट किसान से ही ले लो न।"
"इतना प्राफिट लेते हो,जनता को लूट रहे हो!" - दार्शनिक भाव से मैंने कहा।
"बाबूजी हम कहाँ लूट रहे है , लूट तो रहे है बिचौलिया जो गरीब किसानन से सस्ता खरीद रहे है और हमका महंगा दे रहे है तो हम सस्ता कहाँ से बेचें "-ठेले वाले ने सफाई देते हुए कहा
पुनःठेले वाले ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा -" खेल मे तो मारे जा रहे या तो किसान या तो बेचें वाले और बिचौलियों की मौज ही मौज है।"
अब तक मेरा सस्ते का नशा काफूर हो चला था। बात को ख़त्म करने के उद्देश्य से मैंने कहा - "भैया एक पाव आलू दे दो। "
और घर उलटे पाँव लौटते हुए मन ही मन विचार करने लगा कि जो बात सरकार को नहीं समझ मे आई वो ठेले वाले भी जानते है।

आईपीएल - 3 का टिकट फ्री

आईपीएल - 3 का टिकट फ्री मे मिले और उस पर क्रिकेट का मजा , लगता है कि हमारे भाग्य खुल गए ,पूर्व जन्म का कोई सत्कर्म है जो अब फलीभूत हुआ है। गली -मोहल्ले मे गर्व से सिर ऊचा कर चलेंगे।

बस ऐसी ही हमारी मनोदशा को भुनाते है कुछ दिमागदार लोग , जो मनोरंजन को मिर्च-मसाला लगाकर चरम पर पहुचाने के बाद उसको कैश कराते है। उनके लिए यह खेल सिर्फ पैसा कमाने की मशीन भर है। देश मे इस खेल की भावनाओ का ऐसा बवंडर खड़ा कर देते है कि बस जहाँ भी सुनो बस इसकी ही चर्चा है। क्या अख़बार क्या टीवी चैनल , गली-मोहल्ले से लेकर शहर के हर चौराहों व सडको पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर बस इसी की ही चर्चा है।

मै पूछता हूँ कि क्या यह खेल जिससे कुछ लोग अरबो कमाते है, इस देश गरीब जनता को एक वक्त की रोटी दे सकता है,क्या इसके द्वारा देश के विकास मे अंश मात्र का योगदान है? मेरा मंतव्य यह कतई नही है कि मै कुछ लोगो के इस खेल को व्यवसाय के रूप मे अपनाने के उनके मौलिक अधिकार को चुनौती दे रहा हूँ। अफसोस तो यह है कि इस मामले मे हमारी सरकार क्या कर रही है? क्या यह कभी आकलन किया गया है कि इस देश कि कितनी ऊर्जा इन खेलो को देखने, सुनने मे जाया होती है? व्यवसाय के रूप मे इन खेलो से राष्ट्रीय आय व राष्ट्रीय विकास मे क्या योगदान होता है?

लगभग 4 अरब 13 करोड़ डालर की कमाई कर चुके इस खेल मे टीमो की कीमतों पर गौर करे :-

मुंबई इंडियंस ---------------- 11.19 करोड़ डालर

रायल्स चैलेंजर्स बंगलूर ------- 11.16 करोड़ डालर

डेक्कन चार्जर्स ---------------- 10.7 करोड़ डालर

चेंनेई सुपर किंग्स ------------- 9.1 करोड़ डालर
डेयर डेविल्स ------------------- 8.4 करोड़ डालर

किंग्स इलेवन पंजाब ------------ 7.6 करोड़ डालर

कोलकाता नाईट राईडर्स -------- 7.5 करोड़ डालर


राजस्थान रायल्स --------------- 6.7 करोड़ डालर

अपील

दिनांक 27.3.2010 को "अर्थ आवर "जो वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड फॉर नेचर द्वारा 2007 से सिडनी से शुरू किया गया अभियान है, के दिन जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता हेतु समय 20.30 से 21.30 बजे तक विद्युत के समस्त उपकरण को बंद रखे जाने की अपील।