अन्ना - राग

अन्ना के लोकप्रिय होने पर, राजनीति को अपना एकाधिकार की वस्तु समझने वाले लोगो मे खलबली मच गयी है। ऐसे व्यक्तियों की समझ पर जनता को तरस ही आता है, जो गाहे-बगाहे अपनी तुलना अन्ना से करते है और अपने कर्मो का आत्मविश्लेषण नहीं करते है और जो वास्तव मे अना के पग की धूल भी नहीं है।

गुस्ताखी माफ – 1

भ्रष्टाचारियो को पकड़ने के लिए एक मशीन बनी ,
अमेरिका मे--- एक दिन मे 9 पकडे गए ,
चीन मे --- 30 ,
इंग्लैंड मे --- 50 ,

और इंडिया मे --- ??????

1 घंटे मे मशीन चोरी हो गयी !

भारत एक महान देश है ।

अन्ना हम शर्मिंदा है कि भ्रष्टाचार जिन्दा है !!

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की समाधि से पवित्र संकल्प लेकर महान समाजसेवी कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे के साथ जनता द्वारा भष्टाचार के विरुद्ध शुरू किये गए पवित्र यज्ञ की गर्मी को पूरे देश में महसूस किया जा रहा है. लोग सड़क,चौराहों,कार्यालयों,गलियों यहाँ तक कि घरो में इस महायज्ञ की चर्चा कर रहे है. उद्देश्य की पवित्रता ही साधक को वह शक्ति प्रदान करती है कि जिसकी तपन में बड़ी से बड़ी सरकारे हिल जाती है. सेवक से स्वामी बन बैठे तथाकथित राजनेताओं ने बरसाती मेढ़को की भाति विभिन्न राजनैतिक पार्टियों को तैयार कर एक ही उद्येश्य पूर्ति हेतु अलग अलग मुद्दों को बेच कर, चुनाव पूर्व एक दूसरे पर चिल्लाने, एक दूसरे की पार्टियों की सरकारों में हुए घोटालो पर अनर्गल बोलने, विकास का झूठा नारा देने, गरीबी दूर करने संबंधी झूठे व् ख्याली वादों को करने में तथा चुनाव के उपरांत गठ्जोड़कर सरकार में शामिल हो मलाई खाने अपने राजनैतिक कैरिअर को चमकाने में जितना दिमागी कसरत करते है उससे सरकार और जनता के बीच की दूरी को समय दर समय बढाया है. विश्व में हो रहे सत्ताधारियो के विरोध में जनक्रांति इसका यथार्त उदहारण है.

भ्रष्टाचार को दूर कर जिन्दा रहने का एहसास कीजिये

क्या आप इस देश का अन्न का उपयोग अपना जीवन चलने के लिए नहीं करते है?

क्या इस देश की आबोहवा आपके स्वांसो को गति नहीं देती?

क्या इस देश की भूमि आपको शरण नहीं देती?

जिस देश में जीवन पाया ,उसके संसाधनों का उपयोग किया, क्या उसके प्रति हमारी जवाबदेही नहीं है?

सभी भारतवासी एकजुट हो और अपने जिन्दा रहने का एहसास करे.....

भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करे .

गर्व से कहो कि हम भ्रष्टाचारी है.

जब इस देश मे स्वेच्छा से भ्रष्टाचार को जनता के उपर थोप दिया गया है, जब इस देश की जनता द्वारा बनाई गयी सरकार में भ्रष्टाचार को दूर करने की अदम्य इच्छा नहीं। जनता की इच्छा से अपना भाग्य बनाते इन राजनेताओ ने इस देश की जनता को ही उनके भाग्य के भरोसे से छोड़ दिया हो. नेताओं, नौकरशाहों, अपराधियो के गठजोड़ ने लोकतंत्र की जड़ को स्मारक प्रतीक के रूप में संजोकर समानांतर भ्रष्टाचार रुपी स्तम्भ खड़ा कर लोकवृछ को ठीक उसी प्रकार जिन्दा रखा है जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने नवाबो को जनता के प्रतीक के रूप में जिन्दा रख कर ब्रिटेन की तिजोरी को भरने की नीति बनाई थी. आम हिन्दुस्तानी यदि भ्रष्टाचार को उखाड़कर फेक नहीं सकता तो उसे इसका विरोध करने का कोई हक़ नहीं.इसलिये गर्व से कहो की हम भ्रष्टाचारी है.