संत विचार

निरर्थक आशंकाए, परिणाम के प्रति उतावलापन, निरंतर हीन भावना एवं अपराधबोध मनुष्य मे तनाव के हेतु बन जाते है। तनाव वस्तुतः एक रोग है, जो हमारे व्यक्तित्व मे अनेक विकृतियाँ और विसंगतियां उत्पन्न कर देती है। तनाव, कारण न हो कर कार्य की श्रेणी मे आता है, वह हेतु न हो कर एक प्रकार से हमारी दुर्बल मानसिकता का परिणाम होता है।
पूर्वाग्रह, हठधर्मिता, अनावश्यक शंकाशीलता अथवा आशंकाओ द्वारा ग्रसित रहना, ईष्या द्वेषभाव आदि मानसिक तनाव के कारण बनते है। मानसिक तनाव से बचकर हम अपनी अनेक मानसिक बीमारियों से बच सकते है।
सत्य है :- "हमारा महानतम यश सदैव सफल होने मे नही है, अपितु प्रत्येक पतन के बाद उत्थान मे है। "

देश

हाय रे ! देश तेरा क्या हाल हो गया है,
कहाँ गए वो लहलहाते खेत,
कहाँ गए वो बगीचे,
कहाँ गई वो गाँवो की चौपाल,
जिस पर बैठकर प्रधान करते थे ,
गाँवो के भविष्य का फैसला,
अब भी लहलहा रहे है ,
लेकिन वे खेत नही,
आबादी है ,
बगीचे नही ,
बर्बादी है,
गाँवो की चौपाल नही ,
गुंडों की जमघट है,
जो फैसला करते है ,
व्यक्ति का ही नही,
गाँवो का ही नही,
इस देश के भविष्य का भी ।



आवारा

उस विभत्स्य ! दृश को देख कर ,
कॉप गया मेरा अन्तरंग ,
मेरे रोवों के तार मे ,
कपकपी सी हो गई ,
उस आवारा लाश को ,
जिसका इस संसार से ,
रिश्ता न अब कोई था ,
खा रहे थे ,
गीद्ध नोच-नोच कर।

कानून

"कानून राज्य द्वारा निर्मित सबके लिए समान निश्चित मानवीय आचरण के नियम है, जिसका उलंघन करने वाले को दंड दिया जाता है , जिसका आधार जनता की सामान्य इच्छा होती है। "
---किंतु कानून बनाने वाले (सांसद) को ही चुनने मे ही
जनता उदासीन (५०% से भी कम मतदान ) हो
तो उस राज्य का भला भगवान
भी नही कर सकता है।

भारत

Lord Macaulay का ब्रिटिश संसद मे दिनांक 2.2.1835 को दिया गया भाषण :-
"I have travelled across the length and breadth of India and I have not seen one person who is a beggar, who is a thief. Such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage and therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their selfesteem, their native culture culture and they will become what we want them, a truly dominated nation."
--- योजना रुपी वटवृछ आज मजबूती से फैला हुआ है। अगर हम अब भी नही चेते तो भविष्य मे और भी दुष्परिणाम होंगे ।

जूता

देश समाज काल के अनुसार राजनीति की दिशा तय होती है। जिस देश मे आन्तरिक व वाह्य नीति का उचित निर्धारण नही होता , नागरिको की सामाजिक चेतना सो गई हो,समय के अनुसार परिवर्तन का साहस नही ,वहाँ का राजनीति परिदृश्य कुछ वर्तमान जैसा होता है।