संत विचार

निरर्थक आशंकाए, परिणाम के प्रति उतावलापन, निरंतर हीन भावना एवं अपराधबोध मनुष्य मे तनाव के हेतु बन जाते है। तनाव वस्तुतः एक रोग है, जो हमारे व्यक्तित्व मे अनेक विकृतियाँ और विसंगतियां उत्पन्न कर देती है। तनाव, कारण न हो कर कार्य की श्रेणी मे आता है, वह हेतु न हो कर एक प्रकार से हमारी दुर्बल मानसिकता का परिणाम होता है।
पूर्वाग्रह, हठधर्मिता, अनावश्यक शंकाशीलता अथवा आशंकाओ द्वारा ग्रसित रहना, ईष्या द्वेषभाव आदि मानसिक तनाव के कारण बनते है। मानसिक तनाव से बचकर हम अपनी अनेक मानसिक बीमारियों से बच सकते है।
सत्य है :- "हमारा महानतम यश सदैव सफल होने मे नही है, अपितु प्रत्येक पतन के बाद उत्थान मे है। "

1 टिप्पणी:

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

उत्तम विचार.....!!