चुनाव

भूखा !

तू हर हल मे मरेगा ,

किंतु जरा ,

इस अपने 'खद्दरधारी ' की भी सोच ,

" खड़ा हूँ तेरे सामने ,

और तू बैठा है !

कभी तो सूरज पश्चिम से निकला है"

पुकार

रात के सन्नाटे को चीरती हुई ,

फिर खो गई पुकार,

और जा मिली उस महाकाल से ,

जिसमे से आई थी !