पोथी में मन की स्वछंद अभिव्यक्ति ...
चुनाव
भूखा !
तू हर हल मे मरेगा ,
किंतु जरा ,
इस अपने 'खद्दरधारी ' की भी सोच ,
" खड़ा हूँ तेरे सामने ,
और तू बैठा है !
कभी तो सूरज पश्चिम से निकला है"
एक टिप्पणी भेजें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें